आप भी दे मिलावट के इसी अभियान में हमारा साथ, मिलावट को लेकर कोई सूचना हो तो हमे बताए 9799921111
इम्तियाज अहमद
जोधपुर। अमूमन देखा जाता है की स्वास्थ्य विभाग द्वारा मिलावट रोकथाम के लिए अभियान चलाया जाता है। अभियान में कई खाद्य पदार्थ के सैंपल के साथ सीज की कार्यवाही भी होती है। सैंपल व सीज की कार्यवाही के बाद वह खाद्य पदार्थ 3-4 तक नही बिकता है, पांचवे दिन फिर से बाजार में उपलब्ध हो जाता है। कार्यवाही की न्यूज पेपर में बढ़चढ़ कर आती है। विभाग भी इन खाद्य पदार्थ कार्यवाही का श्रेय भी लेते है। मगर कार्यवाही की असली जंग तब चालू होती है। यह आमजन को पता नही होती है।
असली जंग होती है उस कार्यवाही की प्रयोगशाला की रिपोर्ट पर
कार्यवाही भी होती है, सैंपल भी और सीज भी होता है। मगर असली जंग होती है उस कार्यवाही की प्रयोगशाला की रिपोर्ट पर वो सामने नही आती है। अंदर के अंदर उस कार्यवाही की रिपोर्ट सरकारी फाइलों में दफन हो जाती है। उस समय आमजन को यह नही पता होता है कि जिस खाद्य पदार्थ की सेंपलिंग व सीज हुआ है। वो सही में खाने योग्य है या नही। मगर आमजन भी किया करे जो रिपोर्ट सरकारी प्रयोगशाला से आई है। विभाग की फाइलो में दफन हो जाती है।
सेंपलिंग के बाद रिपोर्ट सरकारी फाइलों में दफन
जनता के सामने सिर्फ सेंपलिंग को दर्शाया जाता है। वो भी खाद्य सुरक्षा दल की मर्जी है तो वर्ना सैंपल की पूरी जानकारी भी जनता को नही दी जाती है। सैंपल के बाद की कहानी तो फाइल में हमेशा के लिए दफन हो जाती है। अगर वो खाद्य पदार्थ अनसेफ, सब स्टैंडर्ड या मिस ब्रांड आया यह किसी को नही पता होता है। अगर पता होता है तो सिर्फ विभाग को मगर उनको पता होते हुए भी सत्य बाहर नही आ पाता है। इसका मतलब साफ है, मिलीभगत जो मिलावटी व्यापारियों को एक तरह से उनको बढ़ावा देना। जिससे उनके हौसले बुलंद हो रखे है। कई बार विभाग के अधिकारियों पर साठगांठ के आरोप भी लगे है।
जब कोई विभाग से किसी भी खाद्य पदार्थ की सेंपलिंग रिपोर्ट को मांगा जाता है तो उनका एक ही रटा रटाया शब्द होता है, ऊपर से आदेश नही है। जबकि ऐसा कोई आदेश पारित नही हो रखा है। बस स्वास्थ्य विभाग में लगे अधिकारी खुद ही आदेश बना देते है।
सरकार के नियमों में है रिपोर्ट को चौथे स्तंभ (मीडिया) को उपलब्ध कराना। जिससे आमजन को मीडिया के मार्फत समाचार का प्रकाशन कर आमजन में जागरूकता लाना। जिससे आमजन सही खाद्य पदार्थ खरीदारी कर मिलावटी खाद्य पदार्थ से दूरी बनाए।
सबसे ज्यादा घी, खाद्य तेल की रिपोर्ट में झोल
आमजन के रोजमर्रा में घी, खाद्य तेल महत्वपूर्ण होता है जिसका सेवन रोज किया जाता है, और मिलावटी व्यापारियों की इसमें सबसे ज्यादा मुनाफा कमाते है। क्योंकि यह खाद्य पदार्थ सबसे ज्यादा मंहगे होते है। आमजन को नकली असली पता नही चलता है। इसी का फायदा मिलावटखोर उठा रहे है। आमजन को मीठा सफेद जहर परोस रहे है।
स्वास्थ्य विभाग को रखनी चाहिए पारदर्शिता
स्वास्थ्य विभाग को खाद्य पदार्थ की सेंपलिंग रिपोर्ट में पारदर्शिता लानी अति आवश्यक है। जिससे आमजन खाने योग्य खाद्य पदार्थ को सही परख कर सके। जिससे मिलावटी खाद्य पदार्थ से दूरी बन जाएगी, और गंभीर रोगों में कमी आएगी। अन्यथा आमजन मिलावटी खाद्य पदार्थ का सेवन करता रहेगा और जीवन में अपने गंभीर रोगों की चपेट आता रहेगा।
मुख्यमंत्री तक पहुंचाएंगे पूरी बात
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की दूरदर्शी सोच के कारण आज मिलावट करने वालो में हड़कंप मचा हुआ है लेकिन खाद्य सुरक्षा दल के स्थानीय अधिकारी इस अभियान में केवल खानापूर्ति कर मुख्यमंत्री को धोखा दे रहे है क्योंकि सेंपल की पूरी जानकारी आम जनता को नही दी जाती है ना जी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को इसकी जानकारी दी जाती है साथ ही सैंपल की जांच करने के बाद वो खाद्य पदार्थ आम लोगो के लिए सुरक्षित है या नही वो अनसेफ है या सब स्टैंडर्ड है या फिर सही और खाने योग्य है इसकी जानकारी भी मीडिया को नही दी जाती स्वास्थ्य विभाग के इन कारनामों को मुख्यमंत्री तक पहुंचाना आवश्यक है इसलिए हमारे समाचार पत्र के माध्यम से हम इनके कारनामों से मुख्यमंत्री को अवगत करवाएंगे।