जोधपुर। परिवार की परम्परा है नैत्रदान-देहदान,पर सिर्फ हुआ नैत्रदानसमाजसेवी परिवार के सदस्य का सम्पन्न हुआ नैत्रदान,देहदान न हो सका
कल सुबह दादाबाड़ी निवासी दिनेश पालीवाल (61वर्षीय) का आकस्मिक निधन हो गया । अचानक हुई इस घटना के कारण परिवार के सभी लोग अपना होश खो बैठे ।
तुरंत ही उनकी मृत्यु की सूचना आग की तरह फैल गयी । उनके क़रीबी मित्र होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ अचल सक्सेना को भी जैसे ही पता चला,उन्होंने तुरंत,दिनेश जी के बड़े भाई प्रमोद पालीवाल जी से दिवंगत दिनेश जी के नैत्रदान करवाने की इच्छा जाहिर की ।
प्रमोद जी और इनका पूरा परिवार काफ़ी समय से सामाजिक कार्यों में अग्रणी रहा है,2 वर्ष पूर्व में भी दिनेश जी के सबसे बड़े भाई श्री जगदीश चंद्र जी पालीवाल का निधन हुआ था,उस समय भी उनके बेटे मनु पालीवाल ने अपने पिता का नैत्रदान व देहदान का कार्य करवाया था ।
शाइन इंडिया फाउंडेशन के ज्योति-मित्र डॉ अचल के अनुरोध पर प्रमोद जी ने तुरंत अपने भाई के नेत्रदान करवाने के लिये कहा । पालीवाल परिवार में नैत्रदान-देहदान की परंपरा रही है,इसी कारण से परिजन नैत्रदान के साथ साथ देहदान भी करवाना चाहते थे,पर चिकित्सकीय कारणों से उनका देहदान नहीं हो सका ।
शाइन इंडिया फाउंडेशन व आई बैंक सोसायटी,कोटा चैप्टर के सहयोग से दादाबाड़ी निवास पर ही नेत्रदान की प्रक्रिया सम्पन्न हुई। इसके साथ ही वृक्षों की रक्षा हो सके,इस उद्देश्य से दिनेश जी का अंतिम संस्कार किशोरपुरा मुक्तिधाम में विद्युत-शवदाह गृह में किया गया ।
ज्ञात हो कि,दिनेश पालीवाल,मेजर स्व० श्री कन्हैया लाल पालीवाल जी के पुत्र थे । जो भारतीय फ़ौज में रहते हुए दूसरे विश्व उद्ध में भारतीय सेना में सम्मलित रहे और अफ़्रीका की में लड़ाई में भाग लिया । उन्होंने अनेकों युवाओं को शिक्षा के लिए प्रेरित कर दिल्ली /कोटा में नौकरी लगाने का पुनीत कार्य किया । उनके नाम से खड़े गणेश जी पर परिवार व समाज द्वारा एक छात्रावास का निर्माण कराया गया है ।