जनवरी से अब तक 1246 सैंपल लिए, 580 की जांच हुई 83 घटिया निकले बिरयानी में सिंथेटिक कलर, बेसन में चावल का आटा मिलाया

रायपुर। राजधानी समेत राज्य के कई शहरों में मिलावटी खाद्य सामग्री लोगों की सेहत बिगाड़ रही है। जांच की सीमित साधन के बावजूद सैंपल के जो नतीजे सामने आ रहे हैं, वह चिंता में डालने वाले हैं पिछले सात माह के सैंपलों की आधी-अधूरी जांच में पता चला है कि बेसन, पनीर, नमकीन, मिठाई की खरीदी में भी खतरा है। कई सैंपल अमानक पाए गए हैं। पता चला है, बेसन में चावल आटा और हल्दी मिलाया जा रहा है। होटल की बिरयानी में अधिक मात्रा में सिथेंटिक कलर डाला जा रहा है। मिठाई दुकानों में बिकने वाले लड्डु और चमचम में फैट ज्यादा है तो नमकीन मिक्चर बनाने घटिया तेल का उपयोग किया जा रहा है।

चार महीने पहले होली के त्यौहार के दौरान प्रदेश में बिकने वाले खाने-पीने के सामानों में जमकर मिलावट की गई थी। उस दौरान खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम द्वारा अपने सीमित संसाधन की मदद से रेंडम चेकिंग कर सैंपल उठाए गए थे, जिसकी रिपोर्ट कुछ समय पहले ही आई है। इसमें खाद्य पदार्थों के अमानक होने की पुष्टि हुई है। त्यौहार के अलावा सामान्य दिनों में भी बिकने वाले खाने-पीने के सामान गुणवत्ताहीन हैं। इन पर लगाम कसने के लिए विभागीय स्तर पर प्रदेश के विभिन्न जिलों से बीते सात महीने में जांच के लिए 1246 सैंपल लिए गए, जिनमें से 580 की जांच पूरी हो चुकी है। इनमें से 83 सैंपल अमानक पाए गए हैं। 666 सैंपलों की रिपोर्ट परखने का काम अभी प्रक्रियाधीन है। मुख्यालय के अफसरों के अनुसार जांच में जो सैंपल अमानक पाए गए हैं उस संस्था को संबंधित जिला स्तर पर कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं।

सुनवाई के लिए सैकड़ों बाकि पड़े पेंडिंग मामले

खाद्य औषधि प्रशासन द्वारा अपने सीमित टीम के साथ कार्यवाही तो करती है मगर सब स्टैण्डर्ड पाए जाने वाले खाद्य पदार्थों के मामले में कारोबारियों के खिलाफ कार्यवाही सुनवाई की वजह से अधूरी रह जाती है। आंकड़ों के अनुसार अभी एडीएम कोर्ट लगभग 300 और सीजेएम के व्यायालय में 230 प्रकरण सुनवाई के लिए पेंडिंग पड़े हुए हैं। खाद्य पदार्थों में मिलावट के मामलों में जुर्माने से लेकर तीन साल तक सजा का भी प्रावधान है।

वेज-नॉनवेज एक किचन में बन रहे थे

राजधानी के अशोक बिरयानी सेंटर में वेज-नानवेज एक ही जगह रखने और दोनों के मिक्स होने का मामला सामने आया था। इस मामले में खाद्य एवं औषधि विभाग की टीम ने सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा है और किचन को अलग कराने की कार्यवाही पूरी की है। इसकी जांच रिपोर्ट अभी नहीं मिली है।

तेल का दोबारा उपयोग रोकने अभियान 

तेल का दोबारा उपयोग रोकने के लिए भी खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत कारोबारी को एक निर्धारित शुल्क का भुगतान कर रीयूज्ड तेल संग्रहित किया जा रहा है। अफसरों के अनुसार छत्तीसगढ़ बायो फ्यूल विकास प्राधिकरण द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर 9407646904 या 7880161532 पर संस्थान की पूरी जानकारी के साथ कॉल या व्हाट्सएप मैसेज कर सकते हैं। इसके लिये टोल फ्री नंबर 18008903841 भी जारी किया गया है।

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