खाद्य पदार्थों में मिलावट के मामले में राजस्थान में पहले पायदान पर है अलवर
खाद्य सामग्री में मिलावट के मामले में अलवर प्रदेश में पहले पायदान पर है। हालांकि मिलावटी खाद्य सामग्री की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार कार्रवाई की जा रही है, लेकिन कम लागत में अधिक मुनाफे के फेर में मिलावटखोर आमजन के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
नवंबर में प्रदेशभर में 527 मिलावटखोरों के खिलाफ चालान पेश किए गए। इसमें सबसे अधिक 65 केस अलवर में दर्ज हुए। इसमें नकली घी व पनीर के मामले सबसे अधिक हैं। यह स्थिति तो तब है जब विभाग ने पिछले एक साल में कई बड़ी कार्रवाई कर बड़ी मात्रा में मिलावटी खाद्य सामग्रियां नष्ट की हैं। इसके इसके बाद भी मिलावटखोरों में कानून का डर दिखाई नहीं दे रहा है।
दस महीने में 249 नमूने हुए फेल
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इस साल जनवरी से अक्टूबर तक 10 माह में अलवर व खैरथल-तिजारा जिला और बानसूर क्षेत्र से खाद्य सामग्री के कुल 816 सैंपल लिए, जिनकी जांच में 249 सैंपल फेल हो गए। वहीं, इस साल जुलाई तक 7 माह में 523 सैंपल लिए, जिनमें से 148 सैंपल मिलावटी पाए गए। इसमें से 141 खाद्य सामग्री के सैंपल अवमानक और 7 सैंपल असुरक्षित पाए गए। इसमें पनीर के 49, घी के 36, कलाकंद के 10, दही के 12 व लाल मिर्च के 8 सैंपल शामिल हैं।
मिलावट का संदेह होने पर 181 पर कॉल कर दे सकते हैं शिकायत
खाद्य सुरक्षा अधिकारी केशव गोयल ने बताया कि मिलावटी खाद्य सामग्री की रोकथाम के लिए विभाग की ओर से लगातार कार्रवाईयां की जा रही हैं। आमजन इससे संबंधित शिकायतें टोल फ्री नंबर 181 अथवा कार्यालय के नंबर 0144-2340145 पर फोन पर भी विभाग को दे सकते हैं। इस साल अक्टूबर तक मिलावटी खाद्य सामग्री के 237 प्रकरणों का निस्तारण करते हुए अलवर शहर व खैरथल एडीएम कोर्ट ने मिलावटखोरों पर 56 लाख 59 हजार 500 रुपए का जुर्माना लगाया है। इसमें पिछले साल के प्रकरण भी शामिल हैं। इस अवधि में स्वास्थ्य विभाग की ओर से 180 मामलों में कोर्ट में चालान पेश किया जा चुका है।