जोधपुर। निःशुल्क शक्तिपात दीक्षा से कुंडलिनी शक्ति जागृत करके स्वतः योग करवाने हेतु प्रसिद्ध सदगुरुदेव रामलाल सियाग का 99 वां अवतरण दिवस समारोह आगामी 24 नवंबर को जोधपुर स्थित अध्यात्म विज्ञान सत्संग केंद्र में प्रातः 10 बजे से आयोजित किया जाएगा। इस पावन समारोह में भाग लेने के लिए सदगुरुदेव सियाग के हजारों शिष्य शिष्याएं देश के विभिन्न भागों से जोधपुर पहुंच रहे हैं। सदगुरुदेव सियाग के अवतरण दिवस पर होने वाले इस समारोह के साथ ही उनकी दिव्य वाणी में संजीवनी मंत्र द्वारा शक्तिपात दीक्षा और आध्यात्मिक ध्यान कार्यक्रम भी आयोजित किया गया है जो सभी के लिए पूर्णतया निःशुल्क रहेगा।
भारतीय योग दर्शन में कुंडलिनी को जगत की मातृ शक्ति कहा गया है जो हर मनुष्य में रीढ़ की हड्डी के निचले सिरे पर सुप्तावस्था में रहती है। यह दिव्य शक्ति योग्य सद्गुरु की कृपा से ही चेतन होकर सहस्रार की ओर उर्ध्वगमन करती है। सदगुरु के नियंत्रण में चेतन यह शक्ति साधक को ध्यान की अवस्था में उसकी आवश्यकता अनुसार स्वतः योग करवाती है जिससे सभी प्रकार के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रोगों से मुक्ति संभव है। कुंडलिनी शक्ति जनित इस स्वतः योग को भारतीय योग दर्शन में सिद्ध योग या महा योग कहा गया है। इसके साथ ही गुरुदेव सियाग द्वारा चेतन संजीवनी मंत्र के मानसिक जाप से साधक की वृतियां बदलकर सात्विक हो जाती हैं और सभी प्रकार के नशों और तामसिक वस्तुओं से भी उसे मुक्ति मिल जाती है। रोगों एवं नशों से मुक्त साधक आध्यात्मिक उन्नति करते हुए जीते जी मोक्ष की अवस्था प्राप्त कर लेता है, जिसे महर्षि अरविंद ने पार्थिव अमरत्व कहा है।
हर जाति, धर्म, राष्ट्र के लाखों मनुष्यों की सुप्त कुंडलिनी शक्ति जागृत करके मानवता के दिव्य रूपांतरण का मार्ग प्रशस्त करने वाले प्रवृतिमार्गी संत सदगुरुदेव रामलाल सियाग का जन्म बीकानेर जिले के पलाना गांव के एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन्हें आध्यात्मिक संकेत मिलते रहे लेकिन पारिवारिक दायित्वों के कारण वे पहले पढ़ाई और फिर नौकरी में व्यस्त रहे। 1968 में परिस्थितियों वश उन्हें आध्यात्मिक साधना में लगना पड़ा और कुछ वर्ष बाद उन्होंने रेलवे की नौकरी छोड़कर अपने गुरु बाबा श्री गंगाईनाथ जी योगी के निर्देश अनुसार मानवता के कल्याण हेतु सभी इच्छुक मनुष्यों को निशुल्क शक्तिपात दीक्षा देना प्रारंभ कर दिया। गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग के लाखों शिष्य भारत सहित दुनिया के कई देशों में फैले हुए हैं और अपनी आध्यात्मिक साधना करते हुए उसका प्रचार प्रसार कर रहे हैं।