विधायक अशोक गहलोत लापता,  सरदारपुरा विधानसभा में लगे पोस्टर

पूर्व मुख्यमंत्री की निष्क्रियता के चलते जोधपुर के सांसी कॉलोनी के लोगों ने लगाए पोस्टर, कहा गायब है हमारे विधायक

जोधपुर। सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र की सांसी कॉलोनी, रातानाडा की बस्ती में दीवारों और खंभों पर “लापता विधायक अशोक गहलोत” के पोस्टर जगह-जगह नजर आ रहे हैं। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में सरदारपुरा के विधायक अशोक जी गहलोत के खिलाफ जनता का आक्रोश अब खुलकर सामने आ रहा है।

स्थानीय निवासियों से बातचीत में पता चला कि क्षेत्रवासियों में अशोक गहलोत के प्रति गहरी नाराजगी है। चुनाव के बाद से वे न तो क्षेत्र में लौटे और न ही जनता से संवाद स्थापित किया। उनके विधायक कोष से किसी भी प्रकार का विकास कार्य नहीं हुआ है। इसी कारण लोगों ने धीरे-धीरे पोस्टर लगाकर अपनी नाराजगी और विरोध प्रकट करना शुरू कर दिया है।

बस्ती के लोगों का कहना है कि अशोक गहलोत केवल चुनाव के समय आते हैं, झूठे वादे और प्रलोभन देकर चले जाते हैं। पिछले कई वर्षों से उन्होंने क्षेत्र के विकास के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। बस्ती की सड़कों, पानी की व्यवस्था और सफाई जैसी मूलभूत सुविधाएं अब भी खराब स्थिति में हैं। बस्ती के नजदीक से एयरपोर्ट से आते हैं और गुजर जाते हैं परंतु बस्ती की तरफ मुड़कर भी नहीं देखते हैं।

क्षेत्र के प्रमुख प्रतिनिधि अजय सिंह सांसी ने कहा, यह बेहद दुखद और शर्मनाक है कि अशोक गहलोत जैसे पूर्व मुख्यमंत्री हमारे क्षेत्र के विधायक हैं। वे अपने क्षेत्र की बस्तियों में आज तक कोई बड़ा काम नहीं कर पाए। बस्ती में स्थित राजकीय विद्यालय, जो बालिकाओं का विद्यालय है, वहां शौचालय तक नहीं था। बालिकाओं को शौच के लिए घर जाना पड़ता था। यह हमारे क्षेत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।

उन्होंने आगे कहा, हम मीडिया के माध्यम से अशोक गहलोत को चेतावनी देना चाहते हैं कि वे तुरंत अपने क्षेत्र में लौटें और जनता की समस्याओं का समाधान करें। यदि ऐसा नहीं हुआ तो हम आने वाले दिनों में उनके खिलाफ बड़े और व्यापक रूप से विरोध प्रदर्शन करेंगे। अब जनता उन्हें अपना विधायक मानने को तैयार नहीं है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह विरोध केवल पोस्टरों तक सीमित नहीं रहेगा। यदि विधायक ने जल्द ही जनता की बात नहीं सुनी तो विरोध प्रदर्शन और अधिक तेज किया जाएगा।

यह घटनाक्रम बताता है कि जनता अपने जनप्रतिनिधियों से संवाद और जिम्मेदारी की उम्मीद करती है। यदि नेता इन अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरते तो जनता लोकतांत्रिक तरीके से अपनी नाराजगी व्यक्त करने में पीछे नहीं हटती।

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