ऑनलाइन पढ़ा कर भारतीय छात्रों को डॉक्टर बना रहा यूक्रेन, जानिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को केंद्र से एक हलफनामा दायर कर यह बताने को कहा था कि यूक्रेन में पढ़ाई कर रहे मेडिकल छात्रों की संख्या कितनी है, जिन्हें दूसरे देशों में ठहराया गया है।

केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि यूक्रेन के मेडिकल यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने वाले कुल 15,783 भारतीय छात्रों में से 14,973 ऑनलाइन क्लासेस के जरिए अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं, जो विश्वविद्यालयों द्वारा संचालित की जा रही हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने अपने हलफनामे में कहा कि विदेश मंत्रालय से जानकारी प्राप्त हुई है कि कुल 15,783 भारतीय छात्र यूक्रेन के विभिन्न चिकित्सा विश्वविद्यालयों में नामांकित हैं, जिनमें से 14,973 छात्र यूक्रेन के संबंधित चिकित्सा विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित ऑनलाइन कक्षाओं में भाग ले रहे हैं, और 640 छात्र यूक्रेन में ऑफलाइन शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने मांगा था जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को केंद्र से एक हलफनामा दायर कर यह बताने को कहा था कि यूक्रेन में पढ़ाई कर रहे मेडिकल छात्रों की संख्या कितनी है, जिन्हें दूसरे देशों में ठहराया गया है। मंगलवार को जस्टिस सूर्यकांत और विक्रम नाथ की पीठ ने आगे की सुनवाई के लिए 29 नवंबर की तारीख तय की। शीर्ष अदालत ने 16 सितंबर को सुझाव दिया था कि सरकार के शैक्षणिक गतिशीलता (Academic Mobility) कार्यक्रम के अनुसार, केंद्र सरकार यूक्रेन से लौटे छात्रों को अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए विदेशी विश्वविद्यालयों की जानकारी देने वाला एक वेब पोर्टल बना कर दे सकती है।

सरकार छात्रों की मदद करे

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को भारतीय कॉलेजों में 20,000 छात्रों को प्रवेश देने में समस्या है, इसलिए छात्रों को वैकल्पिक ‘अकादमिक गतिशीलता कार्यक्रम’ का लाभ उठाने के लिए विदेशों में पढ़ाई के लिए जाना होगा, और सरकार को उनके साथ समन्वय करना चाहिए और उनकी हर संभव मदद करनी चाहिए। दरअसल, केंद्र ने कहा था कि यूक्रेन से लौटे तमाम मेडिकल छात्रों को देश में चिकित्सा शिक्षा के मानकों को नुकसान पहुंचने की आशंका के कारण भारतीय विश्वविद्यालयों में शामिल नहीं किया जा सकता है।

 

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