कोरोना के बाद अब डिजीज X का खतरा! एक्शन में WHO, बनाई 300 वैज्ञानिकों की टीम

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ऐसे ‘पैथोजन्स’ की पहचान के लिए एक लिस्ट बनाएगा, जो भविष्य में कोरोना जैसी महामारी को जन्म दे सकते हैं. पिछले दो वर्षों में…कोरोना के अलावा जीका, मंकीपॉक्स और निपाह जैसे वायरस की वजह से लाखों लोगों की जान गई है. ऐसे में WHO ने किसी भी महामारी से बचने के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि वो ऐसे बैक्टीरिया, वायरस और सूक्ष्मजीवों की पहचान कर रहा है जो भविष्य में कोरोना जैसी महामारी का कारण बन सकते हैं. डब्ल्यूएचओ इन रोगाणुओं (पैथोजन्स) की एक सूची भी बनाएगा, ताकि उनसे निपटने पर काम किया जा सके. इस रिसर्च के लिए डब्ल्यूएचओ 300 वैज्ञानिकों की एक टीम तैयार कर रहा है जो भविष्य में महामारी फैलाने वाले बैक्टीरिया और वायरस की पहचान करेगी. साथ ही ये टीम इन रोगाणुओं के टीके और इलाज पर भी काम करेगी.

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, प्राथमिक रोगजनकों की सूची को अपडेट करने के लिए वैश्विक वैज्ञानिक प्रक्रिया शुरू की जा रही है जिसमें आने वाले खतरे से निपटने के लिए योजना बनाई जाएगी. डब्ल्यूएचओ ने बताया कि ये सब इसलिए किया जा रहा है ताकि पहले से पता होने के बाद इस तरह की महामारी से जनहानि को कम किया जा सके. पिछले दो सालों में कोरोना के अलावा जीका, मंकीपॉक्स और निपाह जैसे वायरस बड़े पैमाने पर जनहानि का कारण बने हैं.

सूची में शामिल किए गए कई खतरनाक रोगजनक

डब्ल्यूएचओ द्वारा प्राथमिकता वाले रोगजनकों की इस लिस्ट में कोविड-19, इबोला वायरस, मारबर्ग वायरस, लस्सा फीवर, एमईआरएस, सार्स, जीका और डिजीज X शामिल हैं

इन रोगाणुओं को किसी भी महामारी के उत्पन्न होने की स्थिति में एक उपाय के तौर पर कड़ी निगरानी में रखा गया है. डब्ल्यूएचओ द्वारा रोगजनकों की पहली सूची 2017 में प्रकाशित की गई थी. वर्तमान में कोविड -19, क्रीमियन-कॉन्ग हेमोररहाजिक बुखार, इबोला वायरस रोग और मारबर्ग वायरस रोग, लस्सा फीवर बुखार, मिडल ईस्ट रिस्पायरेटरी सिंड्रोम (MERS), सिंड्रोम और सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS), निपाह और हेनिपाविरल रोग, रिफ्ट वैली फीवर, जीका और डिसीज X शामिल हैं

 

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