देश मैं लागू हुआ सीएए कानून इसका आपकी जिंदगी पर क्या होगा असर, पढ़े पूरी खबर


जयपुर। वर्ष 2019 में CAA कानून दोनों सदनों से पारित हो चुका था 4 साल के इंतजार और आठ बार एक्सटेंशन के बाद सरकार ने इस एक्ट का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है इसी के साथ अब अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को भारत में नागरिकता का रास्ता आसान हो जाएगा इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा।

सीएए से डरने की आवश्यकता नहीं, यह नागरिकता छीनने का कानून नहीं है

CAA को लेकर काफी समय से विवाद और विरोध होते रहे हैं और देश के मुस्लिम इससे डरे हुए भी है लेकिन इस कानून से किसी को भी डरने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह कानून केवल नागरिकता देने के लिए है इस कानून से किसी की नागरिकता छीनी नहीं जा सकती है CAA उद्देश्य अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध,जैन, फारसी या ईसाई समुदाय के प्रवासियों को भारत में नागरिकता देना है।

सीएए का विरोध क्यों किया जा रहा है और कौन कर रहा है

2019 में यह कानून पारित हुआ था इसके बाद से इसका विरोध शुरू हो गया जामिया मिलिया इस्लामिया से शाहीन बाग तक ,लखनऊ से असम में हिंसक विरोध प्रदर्शन में कई लोगों की जान भी चली गई थी विरोध करने वालों में दो तरह के लोग थे जिसमें असम समेत देश के पूर्वोत्तर राज्यों के लोग वहां के अधिकांश लोगों को यह आशंका थी कि इस कानून के लागू होने के बाद उनके इलाके में प्रवासियों की तादाद बढ़ जाएगी जिससे उनके हक का लाभ उनको भी मिलेगा वहीं भारत के अन्य क्षेत्र के लोग इसका विरोध इसलिए कर रहे थे क्योंकि इसमें मुस्लिम शरणार्थियों को शामिल नहीं किया गया है इस कानून में तीन देशों से आए 6 धर्म के शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है जबकि मुस्लिम धर्म के लोगों को इससे बाहर रखा गया है विपक्ष का आरोप है की खास तौर पर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है उनका तर्क है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है जो समानता के अधिकार की बात करता है।

CAA में आखिर मुसलमानों को क्यों नहीं किया गया शामिल

केंद्र की भाजपा सरकार ने कहा कि बांग्लादेश,पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रभावित अल्पसंख्यक समुदाय को राहत देना चाहती है मुस्लिम समुदाय इन देशों में अल्पसंख्यक नहीं है बल्कि बहुसंख्यक है यही कारण है कि उन्हें CAA में शामिल नहीं किया गया है। वहीं उन देशों में मुस्लिम बहुसंख्यक होने के कारण वो वहां पीड़ित नहीं है वही उसे देश में रह रहे अल्पसंख्यकों के ऊपर अत्याचार होने की खबरें आती रहती है और इन देशों के अल्पसंख्यक भारत में नागरिकता चाहते हैं इसी के चलते इन देशों के नागरिकों को इस देश में नागरिकता देने के लिए यह कानून लाया गया है।