बच्चियों ने घरों में, बच्चों ने मस्जिदों में पढ़ी नमाज व छोटे पड़े शमियाने
जोधपुर 15 मार्च। रहमतों व बरकतों के महीने में आज शहर ए जोधपुर की ईदगाह बड़ी मस्जिद सहित तमाम मस्जिदों व इबादतगाहों में रमजान के पहले जुम्मे की नमाज अदा की गई। हर मस्जिद में रमजान के पहले जुम्मे की नमाज अदा करने के लिये शहर ए जोधपुर के नमाजियों का इतना जनसैलाब उमड़ा कि मस्जिदों में लगाये शमियाने छोटे पड़ गये। ईदगाह मस्जिद के पेश इमाम मौलाना मोहम्मद हुसैन अशरफी ने रमजान में जुम्मे के दिन व जुम्मे की नमाज की नेकियों के बारे में बताया तो नमाजियों की आंखे आंसुओं से नम हो गई, क्योंकि हर नमाजी के दिल में था कि क्या यह मुबारक व नेमअतों का महिना आने वाले आईन्दा सालों में हमें फिर नसीब होगा।
संस्थान प्रवक्ता शौकत अली लोहिया ने बताया कि आध्यात्मिक इस्लामी संस्थान दारूल उलूम इस्हाकिया मुफ्ती ए आजम राजस्थान मुफ्ती शेर मोहम्मद रिजवी ने कहा कि रमजान के पहले जुम्मे को ईद जैसे माहौल में जुम्मे की नमाज को निहायत अदब ओ एहतराम (संजीदगी व शांति के साथ) के साथ अदा की गई। जुम्मे की नमाज को अदा करने के लिये नमाजियों ने सुबह जल्दी से ही तैयारियां शुरू कर दी। मस्जिदों व इबादतगाहों में नमाजियों के लिए इंतेजामिया कमेटियों द्वारा खास इन्तजाम किये गये। जालोरी गेट बडी ईदगाह, खेतानाड़ी ईदगाह, चीरघर स्थित मदरसा अशफाकिया मस्जिद, बम्बा बडी व छोटी मस्जिद, उदयमंदिर, आसन, नागौरी गेट, सिवांची गेट, लाखरान सहित सैकड़ों मस्जिदों में नमाजियों की तादाद देखने लायक थी। अजान की आवाज के साथ ही नमाजी घरों व अपने-अपने काम-काज छोड़कर मस्जिद की ओर रूख कर लिया और देखते-देखते मस्जिदें नमाजियों से भर गई। बच्चियों ने घरों में अपनी वालिदा (माँ) तो बच्चों ने मस्जिदों में अपने वालिद (पिता) के साथ नमाज अदा की और एक-दूसरे को रमजान के मुबारक महिने के पहले जुम्मा की गले लग मुबारकबाद पेश की।
रमजान रहमतों व बरकतों का महिना – इकबाल खान बैण्डबॉक्स
जुम्मे की नमाज के बाद रोजेदारों ने जुम्मे कीे रहमतों और बरकतों वालेे दिन की अहमियत जानकर परवारदिगार से रो-रो कर अपने गुनाहों की तौबा की। जुम्मे को कई बच्चों ने पहली बार रमजान का रोजा रखा, इन रोजेदार बच्चों में एक अलग उत्साह नजर आ रहा था। मस्जिदों के इमामों ने देश में अमन-चैन व आपसी मुहब्बत के लिए, खुशियाओं के लिए अल्लाह से नेअमतों व बरकतों की दुआ की।
गुनाहों से तौबा करें – उस्ताद हाजी हमीम बक्ष
माहे रमजान के रोजे इस्लाम का पांचवां रूक्न है। रोजों की बड़ी अहमियत व फजीलत अहदीस में बताई गई है। रमजान का महीना आते ही रहमत के सारे दरवाजे खोल दिये जाते है और जहन्नुम के दरवाजों को बन्द कर दिया जाता है। शैतानों को जंजीरों में बांध दिया जाता है।