बिना कारण नहीं होंगे चालान, अब पुलिस नहीं करेगी फालतू परेशान, कमिश्नरेट ने जारी किए आदेश

डॉ. अजय त्रिवेदी

आभार पुलिस कमिश्नरेट जोधपुर..

जोधपुर। भीड़ भाड़ के चौराहे, बढ़ता और अनियंत्रित ट्रैफिक, पुलिस कर्मियों की कमी और बताया गया है कि ऐसे में पिछली सरकार द्वारा सम्बंधित विभाग के माध्यम से ट्रैफिक पुलिस को निर्देश दिया गया था कि हर चौराहा पर 15 चालान काटे जाय।
वो भी ई-चालान और ऐसे चालान जिसका निस्तारण हाथों हाथ शुल्क जमा करवा कर किया जावे।
15 चालान के इस लक्ष्य की पूर्ति का पूरा दबाव भी था।
अब ट्रैफिक पुलिस का पूरा अटेंशन इसी और था कि किसी तरह 15 चालान के लक्ष्य की पूर्ति की जाय और उसके द्वारा इस लक्ष्य की पूर्ति के प्रयास भी आरम्भ कर दिए गए थे।
पुलिस का ध्यान उस अनियंत्रित ट्रैफिक और उसके शहर पर जो यातायात का दबाव था उससे तो हट गया और उसका तो बस एक काम रह गया था कि चालान के दिए गए लक्ष्य के दबाव को कम करे। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए ट्रैफिक पुलिस के हरसम्भव प्रयास शुरू हो गए थे, इस प्रक्रिया में सबसे ज्यादा बाहर से आने वाली गाड़ियों को रोक चालान बनाये जाने लगे।
बाहरी गाड़ी में टूरिस्ट है या असामाजिक तत्व यह तो देखते ही अंदाजा लग जाता था और जो जोधपुर घूमने आये हैं उनका भी अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है किन्तु यह सब बातें गौण हो जाती और लक्ष्य एक ही था चालान।
पुलिस कर्मियों के ऊपर के दबाव की झल्लाहट इन गाड़ी वालों पर निकलती थी जिससे उनके द्वारा कटु वचन बोलने की भी कथित शिकायतें सामने आई।
पुलिस कर्मी जानते हैं कि नरम बोलने से चालान काटना सम्भव नहीं इसलिए कड़क होना पड़ता था। यहाँ एक ही प्रश्न सहज रूप से उपस्थित होता है कि बाहर से घूमने आये व्यक्ति के साथ इस व्यवहार के कारण धीरे धीरे जोधपुर की इमेज अवश्य प्रभावित होगी और शहर का टूरिज्म भी प्रभावित होगा, शहर की छवि और टूरिज्म दोनों का धूमिल होना अच्छा नहीं किन्तु लक्ष्य पूर्ति के सामने सब कुछ गौण हो जाता है।
इधर हर बीट पर ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए जिन होमगार्ड्स को अस्थायी रूप से नियुक्त किया गया था वे चालान के लिए वाहनों को रुकवाने में लीन हो गए।
इसका तो मैं स्वयम् भी प्रत्यक्षदर्शी रहा हूँ अनेक बार इन होमगार्ड्स को इस दुर्व्यवहार के लिए फटकारा भी गया और उनको क्या कार्य दिया गया बीट पर इसके बारे में भी पूछा, कभी सन्तोषप्रद जवाब नहीं मिला था।
होमगार्ड्स का सम्बन्ध सिविल डिफेन्स से है जो सिर्फ सहायता कार्य करते हैं न कि स्वयम् ही अधिकारी की भांति व्यवहार करे। सरकार बदल गई किन्तु यह व्यवस्था ज्यों कि त्यों रह गई, कई बार पुलिस कर्मी भी दबी जुबान इन पन्द्रह चालानों के लक्ष्य से निजात मिलने की बात करते भी सुने गए।
अभी दो दिन पूर्व ही जोधपुर कमिश्नरेट के यातायात पुलिस का पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है जिसमें स्पष्ट आदेश उल्लेखित है कि पुलिस कर्मी अनर्गल चालान बन्द करें एवम् आमजन के साथ इस सम्बन्ध में दुर्व्यवहार न करते हुए मधुर व्यवहार करे। यह एक सराहनीय आदेश है, और स्वागत योग्य भी है इस आदेश हेतु सरकार और सम्बंधित अधिकारियों का आभार। अगर पुलिस आमजन के प्रति संवेदनशील है तो यह प्रशंसनीय है पर अब बारी आमजन की है उसे भी किसी शिकायत का अवसर नहीं देना चाहिए।
शहर की भारी भीड़ में और गली मोहल्लों में भी बेतहाशा और बेपरवाह भागते दुपहिया और चौपहिया वाहनों को अनुशासित होना चाहिए। लगातार हॉर्न बजाते हुए आड़े तिरछे तेज दौड़ते थ्री-व्हीलर्स और सारी हदें तोड़ती सिटी बसेज और ख़ास कर केम्पर्स, स्कॉर्पियो और थार को भी ट्रैफिक नियमों और निधारित गति का पालन कर अपना वाहन चलाना चाहिए।
अगर ट्रैफिक अनुशासित हो जाता है तो इसका लाभ शहर को ही मिलता है और अगर ऐसा नहीं हुआ तो पुलिस फिर कड़क होगी और कुछ लोगों की बदतमीजियों का खामियाजा पूरे शहर को भुगतना पड़ेगा।

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