कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग में मनमर्जी से पदों की बंदरबांट, कोई पद दे रहा है कोई हटा रहा है

जोधपुर के नेता की ऐसी नियुक्ति बनी है चर्चा का विषय, स्थानीय कांग्रेस के नेता भी ऐसी नियुक्ति से है नाराज, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले का मामला

जयपुर। आज पूरे देश में कांग्रेस के क्या हालात है ये किसी से छुपा नहीं है इसका कारण कही ना खुद कांग्रेस ही है जहां संगठन पर किसी नेता की पकड़ नहीं है, थोड़ा पैसा दो पोस्ट लो। कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग में ऐसी ही नियुक्ति का मामला सामने आया है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग में एक पोस्ट पर जोधपुर के ही एक नेता को नियुक्त किया गया था। बताया जा रहा है कि ये नियुक्ति ऐसे नेता को दी गई है जो संगठन में कभी सक्रिय नहीं रहा, ना ही कांग्रेस के स्थानीय नेता अच्छी तरह से जानते है फिर भी ऐसे नेता को प्रदेश स्तर का पद दे दिया गया।

कांग्रेस के नेताओं में चर्चा है कि ये पद पैसा देकर लाया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद कहते है कि कांग्रेस में पूरी रगड़ाई के बाद ही पद मिलता है और बिना रगड़ाई ये पद मिला है तो ये किसी के समझ नहीं आ रहा है। इस नियुक्ति की शिकायत अल्पसंख्यक विभाग के दिल्ली में बैठे आला नेताओं को की गई। जब शीर्ष नेतृत्व को इसकी जानकारी मिली तो दिल्ली में बैठे नेता ने जोधपुर के नेता को दी गई इस नियुक्ति को अमान्य करार दे दिया।

जिससे अल्पसंख्यक विभाग में खलबली मच गई और जोधपुर के नेता द्वारा अंदर खाने कुछ और मामला बिठाने की जुगत लगाई गई और शीर्ष नेतृत्व में जुगत लगाई या कुछ लेन देन किया ये हम नहीं कह सकते लेकिन जिस नेता ने जोधपुर के नेता की नियुक्ति को अमान्य करार दिया था उस नेता से राजस्थान का प्रभार ही छीन लिया गया। क्या सच का सामना कर ऐसी फर्जी नियुक्ति पर कार्यवाही करना शीर्ष नेता को महंगा पड़ गया या जोधपुर के नेता की जुगत भारी पड़ गई।

ऐसे कई सवाल और नियुक्तियां है जिनकी बंदरबांट की गई है।जिनकी नियुक्तियों का कोई आधार नहीं है और ना ही उनकी रगड़ाई हुई है फिर भी अल्पसंख्यक विभाग जोधपुर और राज्य में जमकर फर्जी तरीके से नियुक्तियां की गई है प्रदेश में मनमर्जी से ही नियुक्तियां दी गई चाहे वो जोधपुर जिले में हो या प्रदेश में हो सभी जगह क्या ऐसी नियुक्तियां की गई है हमारी जांच पड़ताल जारी है और ऊपर से लेकर जोधपुर तक क्या गड़बड़ झाला है ये सोचने का विषय है।

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