सचिन पायलट की जनसंघर्ष यात्रा के क्या है मायने, क्यों की हैं सचिन पायलट ये यात्रा
इम्तियाज अहमद/राजनैतिक विश्लेषक
जयपुर। सचिन पायलट जब से उपमुख्यमंत्री पद से हटे हैं तभी से ही राजस्थान में कुछ न कुछ करते रहे हैं और आलाकमान और अशोक गहलोत पर लगातार दबाव बनाते रहते हैं लेकिन अब इस तरह की यात्रा निकालकर सचिन पायलट क्या चाहते हैं इसके पीछे उनका क्या मकसद है यह कोई नहीं जानता लेकिन अब सचिन पायलट कांग्रेस से पूरे तरीके से ऊब चुके हैं इस तरह की यात्रा निकालकर कांग्रेस से अलग कुछ करना चाहते हैं एवं सचिन पायलट ये यात्रा निकालकर अपना दमखम दिखाना चाहते हैं लेकिन अपने बलबूते पर कुछ बड़ा करना इतना आसान नहीं है एवं सचिन पायलट कहते हैं कि ये यात्रा भ्रष्टाचार के खिलाफ है और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर वह जनता के बीच जा रहे हैं लेकिन उनका यह कदम राजनीतिक रूप से आगे जाकर उनके लिए परेशानी का सबब बनेगा और इस यात्रा से उनको फायदे की बजाय नुकसान होने वाला है।
सचिन पायलट खुद छोड़ना चाहते हैं पार्टी
पायलट खुद पार्टी नहीं छोड़ना चाहते हैं क्योंकि अगर वह खुद पार्टी छोड़ते हैं तो जनता के बीच गलत संदेश जाएगा और जनता को लगेगा कि सचिन पायलट पद के लोभी है इसी के चलते वह पार्टी खुद नहीं छोड़ कर ऐसा कदम उठा रहे हैं जिससे कांग्रेस पार्टी आलाकमान खुद उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दे लेकिन सचिन पायलट का यह मकसद शायद पूरा नहीं होने वाला है क्योंकि अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ वह भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं एवं एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ वह यात्रा निकाल रहे हैं वैसे इसको वसुंधरा के भ्रष्टाचार से जोड़ रहे है लेकिन आलाकमान शायद उनकी यह चाल समझ चुका है इसलिए आलाकमान भी सचिन पायलट की जनसंघर्ष यात्रा को लेकर बिल्कुल भी सीरियस नहीं हुआ है और उसे अनदेखा कर दिया एवं इस यात्रा को लेकर आलाकमान ने कोई प्रतिक्रिया भी नहीं दी है इससे साफ जाहिर होता है कि सचिन पायलट जो चाह रहे हैं वह होने वाला नही है पार्टी चुनाव तक सचिन पायलट को हर तरीके से साथ रखना चाहती है एवं सचिन को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा कर वह गुर्जर समाज से नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती है इसलिए आलाकमान उनके इस कदम को दरकिनार कर रहा है और सचिन पायलट यह चाहते हैं कि पार्टी उन्हें अनुशासनहीनता या अन्य कोई आरोप लगाते हुए बाहर का रास्ता दिखा दे जिससे उन्हें जनता की सहानुभूति हासिल हो लेकिन सचिन पायलट किस रास्ते पर जा रहे है आलाकमान भी उनके पीछे-पीछे ही है और सचिन पायलट के लिए आगे की राह इतनी आसान नहीं है।
नई पार्टी कर सकते हैं लॉन्च
अब सचिन पायलट के पास एक विकल्प ये हो सकता है कि वो खुद की नई पार्टी लॉन्च कर दें. उन्होंने अपनी जन संघर्ष यात्रा के बाद 15 दिनों का अल्टीमेटम दिया है. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को लेकर जो उनकी मांग है, अगर उसे पूरा नहीं किया गया तो राजस्थान में वो बड़ा जनआंदोलन खड़ा करेंगे. क्योंकि पिछले चार सालों में उनकी ये मांग पूरी नहीं हुई, ऐसे में आगे भी गहलोत उनकी नहीं सुनेंगे यानी पायलट के पास नई पार्टी बनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।
कहा जा रहा है कि 11 जून को अपने पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि के मौके पर सचिन पायलट अपनी नई पार्टी लॉन्च कर सकते हैं. जिसके बाद आने वाले चुनावों में अगर उनके समर्थक अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो पायलट किंग मेकर की भूमिका में हो सकते हैं. जैसे हरियाणा में जेजेपी के दुष्यंत चौटाला बीजेपी को समर्थन देकर डिप्टी सीएम की कुर्सी पर बैठे हैं, ठीक उसी तरह सचिन पायलट भी राजस्थान में सत्ता तक पहुंचने का रास्ता तलाश सकते हैं। हालांकि इसके लिए उन्हें जादूगर गहलोत के जादू का तोड़ निकालना होगा।
गहलोत की जादूगरी के आगे सारे दांव फैल
यूं तो सचिन पायलट पिछले 3 वर्षों से लगातार अशोक गहलोत को परेशान करते रहे हैं लेकिन उनके हर दांव का जवाब मुख्यमंत्री गहलोत ने बहुत मजबूती से दिया है अभी तक सचिन पायलट गहलोत को अपने जाल में नहीं फंसा सके है वही गहलोत भी उनकी हर चाल को पहले से ही समझ कर इसका तोड़ निकाल देते हैं सचिन पायलट ने पिछले 3 वर्षों से कई दांव खेले है लेकिन गहलोत की जादूगरी के सामने कोई भी दांव नहीं चल पाया है गहलोत को दांव पेंच से कभी हराया नहीं जा सकता इसलिए सचिन पायलट भी समझ चुके हैं कि और अब कोई नया रास्ता ही पकड़ना पड़ेगा और कुछ नया करना पड़ेगा इसी के चलते सचिन अब नई रणनीति बनाने में जुट गए है।