हस्तरेखा विज्ञान से भूत,वर्तमान और भविष्य काल जान सकते है

जोधपुर। हस्तरेखा विज्ञान का अध्यन करने से पहले हाथ के आकार- प्रकार को जानना बहुत जरूरी है।अरुणोदय ज्योतिष हस्तरेखा एव वास्तु शोध संस्थान की अध्यक्ष *डा सपना सारस्वत करीब करीब *साढ़े तिन लाख* से ऊपर हस्तरेखा देखचुकी है। उन्होंने बताया की हाथ के आकार- प्रकार से अपरिचित व्यक्तियों के चरित्र की मुलभुत विशेषताओ का पता सहज मे हि लग जाता है। वैसे तो हाथ मे कई प्रकार के भेद श्रेणिया आती है लेकिन विशेष तोर पर डा भोजराज द्रिवेदी द्वारा लिखित पुस्तक रेखाओ का रहस्यमय संसार को समझे तो आठ भागों मे इसे बताया है।

सारस्वत ने बताया की इन आठ भागों को हम इस प्रकार से कह सकते है

पहला भाग -प्रारम्भिक हाथ जिसे अविकसित,अपरिपुष्ट एवं निकृष्ठ और जिसे एलिमेंंट्री हैंड कहते है।

दूसरा भाग – वर्गाकार हाथ जिसे चतुष्कोण हाथ,समकोण हाथ,व्यवसायिक और प्रेक्टिकल हैंड कहते है

तीसरा भाग -चमसाकार हाथ जिसे उधमी हाथ कर्मठ हाथ स्नायु क्रियाशिल हाथ और लेबर हैंड स्पेचूलेट हैंड कहते है।

चतुर्थ भाग – कलात्मक हाथ जिसे कलाकार हाथ,नुकिला हाथ,आर्टिस्टिक हैंड और पॉइंटेड हैंड भी कहते है ।

पांचवा भाग – दार्शनिक हाथ जिसे गठिला हाथ,गठनदार अंगुलियों वाला हाथ,थिंकर हैंड और फिलोसोफिक हैंड भी कहते है ।

छठा भाग – बौद्धिक हाथ जिसे आइडियलीस्टिक हैंड और साईकिक हैंड भी कहते है

सातवा भाग – कोणिक हाथ जिसे कोणिक हैंड कहा जाता है ।

आठवा भाग – मिश्रित हाथ जिसे मिश्रित या मिलाजुला और मिक्स्ड हैंड कहते है।

डा सारस्वत बताती है इन सभी के आकारो से व्यक्ति के जीवन मे चल रहे आचार् विचार स्वभाव और चरित्र का पता लगाकर उसके साथ भूत वर्तमान और भविष्य का पता लगाया जाता है ।

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