गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा ने निकाली अपनी भड़ास, सीएम पर फोड़ा हार का ठीकरा
जयपुर। मुख्यमंत्री के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा ने एक्स पर अपने विचार रखते हुए कहा कि ये नतीजे कोई आश्चर्य जनक नही है ये तो होना ही था लोकेश शर्मा ने कहा कि
मैं नतीजों से आहत जरूर हूँ, लेकिन अचंभित नहीं हूँ..
कांग्रेस पार्टी #Rajasthan में निःसंदेह रिवाज़ बदल सकती थी लेकिन अशोक गहलोत जी कभी कोई बदलाव नहीं चाहते थे। यह कांग्रेस की नहीं बल्कि अशोक गहलोत जी की शिकस्त है।
गहलोत के चेहरे पर, उनको फ्री हैंड देकर, उनके नेतृत्व में पार्टी ने चुनाव लड़ा और उनके मुताबिक प्रत्येक सीट पर वे स्वयं चुनाव लड़ रहे थे।
न उनका अनुभव चला, न जादू और हर बार की तरह कांग्रेस को उनकी योजनाओं के सहारे जीत नहीं मिली और न ही अथाह पिंक प्रचार काम आया।
तीसरी बार लगातार सीएम रहते हुए गहलोत ने पार्टी को फिर हाशिये पर लाकर खड़ा कर दिया। आज तक पार्टी से सिर्फ़ लिया ही लिया है लेकिन कभी अपने रहते पार्टी की सत्ता में वापसी नहीं करवा पाए गहलोत..
आलाकमान के साथ फ़रेब, ऊपर सही फीडबैक न पहुँचने देना, किसी को विकल्प तक न बनने देना, अपरिपक्व और अपने फायदे के लिए जुड़े लोगों से घिरे रहकर आत्ममुग्धता में लगातार गलत निर्णय और आपाधापी में फैसले लिए जाते रहना, तमाम फीडबैक और सर्वे को दरकिनार कर अपनी मनमर्जी और अपने पसंदीदा प्रत्याशियों को उनकी स्पष्ट हार को देखते हुए भी टिकट दिलवाने की जिद…
आज के ये नतीजे तय थे। मैं स्वयं मुख्यमंत्री को यह पहले बता चुका था, कई बार आगाह कर चुका था लेकिन उन्हें कोई ऐसी सलाह या व्यक्ति अपने साथ नहीं चाहिए था जो सच बताए।
मैं छः महीने लगातार घूम-घूम कर राजस्थान के कस्बों-गांव-ढाणी में गया, लोगों से मिला, हजारों युवाओं के साथ संवाद कार्यक्रम आयोजित किये, लगभग 127 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करते हुए ग्राउंड रिपोर्ट सीएम को लाकर दी, ज़मीनी हक़ीकत को बिना लाग-लपेट सामने रखा ताकि समय पर सुधारात्मक कदम उठाते हुए फैसले किये जा सकें जिससे पार्टी की वापसी सुनिश्चित हो… मैंने खुद ने भी चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी, पहले बीकानेर से फिर सीएम के कहने पर भीलवाड़ा से, जिस सीट को हम 20 साल से हार रहे थे, लेकिन ये नया प्रयोग नहीं कर पाए, और बीडी कल्ला जी के लिए मैंने 6 महीने पहले बता दिया था कि वे 20 हजार से ज्यादा मत से चुनाव हारेंगे और वही हुआ। अशोक गहलोत जी के पार्ट पर इस तरह फैसले लिए गए कि विकल्प तैयार ही नहीं हो पाए…
25 सितंबर की घटना भी पूरी तरह से प्रायोजित थी जब आलाकमान के खिलाफ़ विद्रोह कर अवमानना की गई और उसी दिन से शुरू हो गया था खेल….
इस तरह के बयान के पीछे कई कारण हो सकते है हालाकि सोशल मीडिया पर लोग उन्हें ट्रोल भी कर रहे है 5 साल साथ रहने के बाद इस तरह के बयान के कई मतलब निकाले जा रहे है और शायद अपने ऊपर लगे मुकदमों से घबरा गए है ।
लोकेश शर्मा थाम सकते है बीजेपी का हाथ
इस तरह के बयान से तो ये लगता हैं कि उन्होंने बगावती तेवर अपना लिए है या तो अपने ऊपर लगे मुकदमों से घबरा गए और इससे राहत पाने के लिए वो बीजेपी के साथ भी जा सकते है क्योंकि अब अशोक गहलोत के साथ रखकर वे अपना भविष्य खराब नही करना चाहते है और हवा के अनुरूप वो भाजपा में जाकर अगले पांच साल सत्ता में रहना चाहते है आगे क्या होगा ये तो भविष्य ही बताएगा लेकिन इस तरह के ट्वीट के बाद वो चर्चा में आ गए है और यही कयास लगाए जा रहे है।