जयपुर। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए मिलावटी खाद्य पदार्थों की रोकथाम को लेकर जो निर्देश दिए थे। उस पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने रोक लगा दी है। सीजे एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस जी आर मीणा की खंडपीठ ने एकलपीठ पर रोक लगाते हुए कहा कि एकल पीठ ने मामले में अंतिम आदेश की बजाय विस्तृत आदेश दिए हैं जो अंतिम आदेश के ही समान है ऐसे में निर्देशों को फिलहाल आगे जारी नहीं रखा जा सकता है। खंडपीठ ने एकल पीठ की ओर से स्वप्रेरित प्रसंज्ञान मामले में उठाए गए मुद्दों पर सुनवाई भी चार सप्ताह बाद तय की है।
एकल पीठ को अंतिम आदेश देने का अधिकार नहीं है
मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र व राज्य सरकार ने कहा कि एकल पीठ ने उन्हें व्यापक निर्देश देते हुए मामला खंडपीठ में सुनवाई के लिए भेजा था। लेकिन एकल पीठ की ओर से दिए गए निर्देश अंतरिम नहीं है बल्कि अंतिम है और खंडपीठ के पास इन निर्देशों को लागू करने के अलावा अन्य कोई सुनवाई बाकी नहीं है। जबकि एकल पीठ को इस तरह से अंतरिम आदेश में विस्तृत निर्देश देने का अधिकार नहीं है खंडपीठ ने राज्य सरकार की बरेली को सुनकर एकल पीठ के निर्देशों पर रोक लगा दी है।
1 जुलाई को एकल पीठ ने लिया था प्रसंज्ञान
एकल पीठ ने मिलावट को बताया था वैश्विक समस्या, जस्टिस अनूप ढंड ने 1 जुलाई को मिलावटी खाद्य पदार्थों को लेकर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए इसे वैश्विक समस्या बताया था। अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि सरकार मिलावट के मुद्दे को गंभीरता से ले जिससे वर्तमान की रक्षा और भविष्य की सुरक्षा हो सके वहीं लोगों के जीवन को बचाए जा सके। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य सरकार मिलावट को खोरों को पकड़ने के लिए अभियान केवल त्यौहार या शादी सीजन तक ही सीमित नहीं रखें बल्कि नियमित तौर पर इसे चलाया जाए वही संबंधित अधिकारी खाद्य पदार्थों में मिलावट के लिए नियमित सैंपल ले और महीने के अंत में रिपोर्ट पेश कर बताएं कि उन्होंने इसे रोकने के लिए क्या कार्यवाही की है। अदालत ने मिलावट को रोकने और इस पर निगरानी के लिए की की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय कमेटी बनाने के लिए भी कहा है।