H3N2 Influenza Virus के डर से 16 मार्च से 26 मार्च तक स्कूल बंद करने की घोषणा की गई

नई दिल्ली। कोरोना महामारी (Coronavirus Pandemic) के बाद अब एक बार फिर से एक नए वायरस को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है. वायरस को फैलने से रोकने के लिए अभी से एहतियात बरते जा रहे हैं. लगातार बढ़ रहे मामलों को देखते हुए प्रभावी कदम भी उठाए जा रहे हैं. इसी के चलते अब बच्चों को वायरस से बचाने के लिए स्कूलों को बंद करने की कवायद शुरू हो गई है. इसी क्रम में केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में सरकार ने एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस (H3N2 Influenza Virus) के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर बुधवार को 16 मार्च से 26 मार्च तक आठवीं कक्षा तक के सभी स्कूलों को बंद करने का ऐलान किया है।

विशेष रूप से बच्चों में इन्फ्लुएंजा के बढ़ते प्रभाव के कारण केंद्र शासित प्रदेश के पुडुचेरी, कराईकल, माहे और यनम के सभी चार क्षेत्रों के स्कूलों के लिए यह आदेश लागू होगा. शून्य काल के दौरान विधानसभा में गृह और शिक्षा मंत्री ए. नम्माशिवयम ने कहा कि बच्चों में इन्फ्लूएंजा के प्रसार को देखते हुए सरकार ने प्राथमिक कक्षा से आठवीं कक्षा तक के सभी सरकारी और निजी स्कूलों में अवकाश की घोषणा की है।

नए इन्फ्लूएंजा H3N2 वायरस (H3N2 Influenza Virus) ने अपनी आमद के साथ ही तहलका मचा दिया है. वायरस के बढ़ते मामलों और इससे होने वाली दो मौतों ने चिंता बढ़ा दी है. हालांकि विशेषज्ञों ने कहा कि इसका प्रकोप सामान्य है. मामलों में अचानक आई तेजी पर दिल्ली के गंगा राम अस्पताल के डॉक्टर धीरेन गुप्ता ने शनिवार को कहा कि कोविड-प्रेरित लॉकडाउन के कारण पिछले दो सालों में बच्चों में इन्फ्लूएंजा का कोई खतरा नहीं था और यह वायरस सामान्य परिस्थितियों में जीवन के लिए खतरा नहीं है.

न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार देश में 9 मार्च तक H3N2 सहित विभिन्न इन्फ्लूएंजा उपप्रकारों के कुल 3,038 मामले दर्ज किए गए हैं. ANI से बात करते हुए धीरेन गुप्ता ने कहा ‘H3N2 वायरस का अचानक प्रकोप, जो इन्फ्लूएंजा का एक सामान्य प्रकार है, ने बच्चों में मामलों की संख्या में वृद्धि की है. मौसमी इन्फ्लूएंजा से प्रभावित बच्चे और इसके समान रोग वाले के लिए बच्चे सबसे कमजोर ग्रुप हैं।

बड़े पैमाने पर लहर की उम्मीद नहीं

उन्होंने आगे कहा कि ‘H3N2 एंटीजेनिक ड्रिफ्ट और एक हल्का म्यूटेशन है लेकिन जीवन के लिए खतरा नहीं है. वायरस कोई भी हो अगर कमजोर ग्रुप के लिए खतरा है तो मृत्यु की संभावना अधिक है. H3N2 के खिलाफ वैक्सीन का प्रभाव कम है और वैसे भी इस साल हमारा वैक्सीनेशन कम है.’ जैसा की इस वायरस से चिंता बढ़ रही है, कुछ लोगों के मन में यह भी सवाल आने लगा है कि क्या यह संभवतः एक और कोविड महामारी हो सकता है. पल्मोनोलॉजिस्ट अनुराग अग्रवाल ने कहा कि उन्हें बड़े पैमाने पर लहर देखने की उम्मीद नहीं है.

वायरस से घबराने की जरूरत नहीं

न्यूज एजेंसी PTI से अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार तरुण साहनी ने कहा कि ‘अस्पताल में भर्ती होना बहुत सामान्य नहीं है और केवल 5 प्रतिशत मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की सूचना मिली है.’ उन्होंने आगे कहा कि ‘फिलहाल इस वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है. कोविड के दौरान बरती जाने वाली सावधानी बरतने की जरूरत है.’