मिलावट को लेकर कमेटी ने दिखाई नाराजगी, अब तक ना एप बना, ना टोल फ्री नम्बर

भोपाल। मिलावट की रोकथाम पर रिपोर्ट तैयार करने वाली टीम ने पहली बैठक सीएमएचओ दफ्तर में की। इसमें 13 बिंदुओं पर चर्चा हुई पर अधिकतर जिलों की समीक्षा में स्थिति अच्छी नहीं मिली। इतने दिन बाद भी न तो टोल फ्री नंबर तय हुआ है न शिकायत करने कोई एप बना। सब कुछ पहले जैसा ही रहा।टीम के सदस्यों ने कहा कि अधिकारी सिर्फ नमूने लेने, रिपोर्ट और जुर्माने लेने का काम नहीं करें। वे अगले महीने तक लक्ष्य तय कर काम करें ताकि मिलावट रुक सके। हाईकोर्ट द्वारा गठित समिति के सदस्य बीएम शर्मा (रियाटर संभाग आयुक्त), संजय चतुर्वेदी (रिटायर डीजे) की इस बैठक में अंचल के आठ जिलों के अलावा विदिशा के अफसर भी शामिल हुए।

कोर्ट के 15 जुलाई के निर्देश के आधार पर ही 26 जुलाई को उप संचालक एवं अभिहित अधिकारी ने बैठक का एजेंडा तय किया। इसके लिए 13 बिंदु का प्रोफॉर्मा तैयार कर सभी जिलों से जानकारी मांगी गई। इसमें पहला बिंदु शिकायतों के लिए एप व टोल फ्री नंबर का था। इस पर अंचल में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अब मुख्यालय को पत्र लिखने का भरोसा खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने दिया।

कोर्ट ने दिखाई सख्ती लेकिन सरकार अब भी गंभीर नहीं

सदस्यों ने पूछा कि दूध में मिलावट रोकने चेक प्वाइंट बने हैं? अफसरों ने कहा-नहीं पर हम पुलिस थानों के पास नियमित जांच करते हैं।

इस साल 249 लाइसेंसियों से 494 नमूने दूध व इससे बने पदार्थों के लिए गए। इनमें से 33 के लाइसेंस सस्पेंड हुए हैं।

इस महीने 96 रिपोर्ट आईं, इनमें 7 अवमानक, 2 नमूने असुरक्षित निकले। एफआईआर एक पर भी नहीं पर कोर्ट में 25 प्रकरण दर्ज।

फील्ड स्टाफ ने कहा कि चलित लैब में 280 नमूने लिए गए

सिर्फ नमूने लेने व उन्हें जांच के लिए भेजने से काम नहीं चलेगा समिति के सदस्यों ने कहा कि सिर्फ नमूने लेने, उन्हें जांच के लिए भेजने या फिर जुर्माना लगाने से काम नहीं चलेगा। फील्ड स्टाफ को अपना नेटवर्क फैलाना होगा ताकि जहां पर भी गड़बड़ हो रही है वे पकड़े जा सकें। लोगों को जागरुक कर सख्ती का मन में संकल्प भी लेना होगा। सदस्यों ने यह भी कहा कि जिस लाइसेंसी की दुकान पर एक बार गड़बड़ी मिले, वहां निगरानी रखी जाए। अंत में सदस्यों ने निर्देश दिए कि सभी एक महीने में  होमवर्क कर लें।

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