लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 (3) के अनुसार, जिस क्षण किसी संसद सदस्य को किसी भी अपराध में दोषी करार दिया जाता है, और कम से कम दो साल कैद की सज़ा सुनाई जाती है, वह संसद सदस्य रहने के लिए अयोग्य हो जाता है।
नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को गुजरात की अदालत द्वारा वर्ष 2019 के मानहानि मामले में दोषी करार दिए जाने और उन्हें दो वर्ष कैद की सज़ा सुनाए जाने की वजह से उनकी संसद की सदस्यता खत्म हो गई है. कुछ विशेषज्ञों का कहना था कि दोषी करार दिए जाते ही केरल की वायनाड सीट से सांसद की लोकसभा सदस्यता ‘स्वतः’ ही अयोग्यता के दायरे में आ गई है, हालांकि कुछ अन्य का कहना था कि अगर राहुल गांधी दोषसिद्धि के फैसले को पलटवाने में कामयाब हो जाते हैं, तो अयोग्यता से बच सकते हैं.
कुछ कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक, भले ही राहुल गांधी को ज़मानत भी मिल गई है, और उन्हें इस फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए 30 दिन की मोहलत भी दी गई है, लेकिन अदालत के फैसले की वजह से उनकी संसद सदस्यता पर ‘स्वतः अयोग्यता’ का खतरा पैदा हो गया है।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 (3) के अनुसार, जिस क्षण किसी संसद सदस्य को किसी भी अपराध में दोषी करार दिया जाता है, और कम से कम दो साल कैद की सज़ा सुनाई जाती है, वह संसद सदस्य रहने के लिए अयोग्य हो जाता है.
विशेषज्ञों के अनुसार, सूरत कोर्ट के फैसले के आधार पर लोकसभा सचिवालय राहुल गांधी को अयोग्य घोषित कर उनकी संसदीय सीट को रिक्त घोषित कर सकता है. इसके बाद निर्वाचन आयोग इस सीट पर विशेष रूप से चुनाव की घोषणा करेगा।
जाने-माने वकील तथा भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद महेश जेठमलानी ने कहा, “कानून के मुताबिक, वह अयोग्य हैं, लेकिन इस फैसले की जानकारी स्पीकर को दी जानी होगी लेकिन आज की तारीख में वह अयोग्य हैं।
वरिष्ठ वकील तथा पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री कपिल सिब्बल, जो पहले कांग्रेस के ही साथ थे, ने भी कहा कि दो साल की सज़ा सुनाए जाने के साथ ही राहुल गांधी सांसद के तौर पर स्वतः अयोग्य हो चुके हैं।
कपिल सिब्बल ने कहा, “अगर वह (अदालत) सिर्फ सज़ा को मुल्तवी करती है, तो वह पर्याप्त नहीं होगा… उन्हें दोषी करार दिए जाने को भी निलंबित करना होगा या उस पर स्थगनादेश जारी करना होगा वह तभी संसद के सदस्य रह सकते हैं, अगर उन्हें दोषी करार दिए जाने पर स्थगनादेश जारी किया जाए।अगर किसी बड़ी अदालत द्वारा इस फैसले को रद्द नहीं किया जाता है, तो राहुल गांधी अगले आठ साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। राहुल गांधी की टीम के मुताबिक, कांग्रेस नेता की योजना इस फैसले को सत्र अदालत (सेशन्स कोर्ट) में चुनौती देने की योजना बना रहे हैं।अगर सज़ा को निलंबित करने और अदालती आदेश पर रोक की अपील सेशन्स कोर्ट में कबूल नहीं होती है, राहुल गांधी की टीम सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे।