राइट टू हेल्थ बिल से चिकित्सा व्यवस्था में सुधार की बजाय जनता को होगी परेशानी

कैसे चलेंगे निजी अस्पताल, खर्चा निकालना भी होगा मुश्किल, आम जनता को होगी परेशानी

जोधपुर। राइट टू हेल्थ कानून लागू होने के बाद निजी अस्पताल बंद होने के कगार पर होंगे निजी अस्पताल के संचालकों ने शुक्रवार को प्रेस वार्ता आयोजित कर बताया कि हम पहले से ही घाटा वहन कर रहे है और इस तरह के कानून से निजी अस्पताल जनता को अच्छी सेवाए नही दे पाएंगे इस प्रेस वार्ता में डा. नगेंद्र शर्मा, आईएमए के सचिव सिद्धार्थ राज लोढ़ा, कांतेश खेतानी, प्रदीप जैन सहित कई डॉक्टर उपस्थित थे सभी ने एक स्वर ने कहा कि सरकार ये कानून रद्द नही करेगी तो हमारा ये आंदोलन लगातार जारी रहेगा क्योंकि सरकार ने पहले से ही चिरंजीवी योजना सहित कई योजनाएं लागू कर रखी है जिसका भुगतान भी कई वर्षो बाद नही होता है ऐसे अब ये एक और योजना निजी अस्पतालो को ले डूबेगी।

राजस्थान से डॉक्टर्स का होगा पलायन

सरकार ने पहले ही चिरंजीवी योजना लागू कर रखी है जिससे भी निजी अस्पतालो पर बोझ बढ़ रहा है और ऐसे में अब इस तरह की योजना से निजी अस्पतालो के पास अस्पताल चलाने के लिए खर्चा ही नही होगा तो अस्पताल चलेगा कैसे, ऐसे में अस्पतालो को बंद करना पड़ेगा जिससे नुकसान आम जनता को ही होगा उन्हे उच्च स्तरीय चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध नही हो पाएगी क्योंकि डॉक्टर्स को देने के वेतन नही होगा तो डॉक्टर्स किसी अन्य राज्यों में शिफ्ट हो जायेंगे जिससे आम जनता को भी परेशानी होगी।

सरकार ने किसी तरह का पैकेज तय नहीं किया है

सरकार ने राइट टू हेल्थ कानून लागू तो कर दिया लेकिन निजी अस्पताल किस तरह से अपना खर्चा निकालेंगे ये समझ में नही आ रहा है आपातकाल, एंबुलेंस और अन्य मुफ्त सेवाओं के बदले सरकार निजी अस्पतालो के लिए क्या करेगी, किस तरह अस्पताल अपना खर्चा चलाएंगे कैसे अस्पताल के स्टाफ, बिजली, पानी और मशीनरी का खर्च उठाएंगे सरकार ने इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं की है निजी अस्पतालो सरकार कितना भुगतान करेगी इसका खुलासा नही किया गया है ऐसे में अस्पतालो को बंद करना पड़ सकता है।

प्रदेश में उच्च स्तरीय चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध नही हो पाएगी

निजी अस्पताल अपनी अच्छी सेवाओं के बदले में मरीजों से भुगतान प्राप्त करता है उच्च स्तरीय मशीनरी, अनुभवी डॉक्टर्स, अनुभवी नर्सिंग स्टाफ की सेवाए प्रदान करता है जिससे मरीजों को उच्च स्तरीय चिकित्सा उपलब्ध हो सके जो लोग भुगतान करके इलाज कराने में सक्षम है उनको अच्छी चिकित्सा उपलब्ध की जाती है अगर सरकार निजी अस्पतालो की ऑक्सीजन ही छीन लेगी तो अस्पताल हांफने लगेंगे और अंत में अस्पताल बंद करने पड़ेंगे ऐसे में नुकसान आम जनता को ही होगा और आम जनता को इलाज कराने के लिए अन्य राज्यों में जाना पड़ेगा इस कानून के बाद अस्पतालो को बंद करना पड़ेगा क्योंकि मुफ्त इलाज कब तक किया जा सकता इसकी भी एक सीमा होती है सरकार को चाहिए कि ये कानून वापस ले इस तरह के कानून से जनता को कोई फायदा नही होने वाला है।

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