पूर्व सानिवि मंत्री यूनुस खान ने कहा, मुख्यमंत्री के डीडवाना दौरे से जिला मुख्यालय की घोषणा की थी उम्मीदें, मगर निराशा हाथ लगी
जयपुर/डीडवाना। पूर्व सानिवि मंत्री यूनुस खान ने कहा कि डीडवाना में किसान सम्मेलन में कांग्रेस के नेताओं ने मीठा पानी लाने का झूठा श्रेय लेने की कोशिश की है। पूरे नागौर जिले को पता है कि मीठा पानी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के राज में नागौर जिले में आया है। उन्होंने कहा कि डीडवाना के दौरे के दिन जनता को उम्मीद थी कि डीडवाना में जिला मुख्यालय बनाने की घोषणा मुख्यमंत्री करेंगे । मगर उन्होंने यहां पर ऐसी कोई घोषणा नहीं की इससे जनता को निराशा हाथ लगी है।
यूनुस खान ने कहा कि डीडवाना विधानसभा क्षेत्र के ग्राम मौलासर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आगमन से जनता को बहुत सारी उम्मीदे थी, जिसमें डीडवाना को जिला मुख्यालय की घोषणा भी सम्मिलित थी। संबोधन के बाद लोगो में निराशा छा गई। नागौर जिले में नागौर लिफ्ट पेयजल परियोजना से पीने का पानी के बयान पर गहलोत साहब का विरोधाभासी था।
राजे ने दिया करोड़ों रूपये का बजट तब आया मीठा पानी
वसुंधरा राजे सरकार में नागौर लिफ्ट पेयजल परियोजना का दिनांक 07 अगस्त 2006 को प्रथम चरण में 761 करोड रूपये राशि की प्रशासनिक एवं वित्तिय स्वीकृति जारी कर नागौर जिले के 5 कस्बे जिनमे नागौर, बासनी, कुचेरा, मूण्डवा व मेडता और 494 गांवो को लाभान्वित किया गया।
वर्ष 2008-2013 अशोक गहलोत सरकार में यह परियोजना दूसरे चरण का इंतजार करती रही।
कांग्रेस ने सिर्फ सोनिया गांधी को खुश किया
चुनाव से पूर्व अपनी नेता सोनिया गांधी को राजी करने के लिए बिना प्रशासनिक, वित्तिय स्वीकृति एवं बिना निविदा के 20 जून 2013 को जायल में कार्यक्रम आयोजित करवाकर जनता को गुमराह किया। तत्पश्चात तत्कालीन मुख्यमंत्री राजे ने द्वितीय चरण में 2938 करोड रूपये की राशि जारी कर दिनांक 28 अक्टूबर 2015 को डीडवाना में शिलान्यास कर 7 कस्बे जिनमें लाड़नू, डीडवाना, परबतसर, मकराना, डेगाना, नांवा, कुचामन एवं 986 गांवो में पीने का पानी पहुंचाया गया। जनता अच्छी तरह जानती है कि वसुंधरा ने चाहे सडक तंत्र मजबूत करने की बात हो, नागौर में पीने के पानी की बात हो या नागौर का समग्र विकास हो उसके लिए जिस तरीके का अपने कार्यकाल में काम किया वो बहुत महत्वपूर्ण था आज भी वसुंधरा जी के प्रति नागौर जिले के डीडवाना वासी कृतज्ञ है। आज की सभा में अगर मनरेगा के महिला मजदूर नहीं होती तो पाण्डाल खाली रहता।